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सोमवार, 20 जुलाई 2020

तीन कुण्डली

अभिनेता ही अभिनेता, रह गया इनका देश;
अभिनय इनका चल गया, बदल दिया परिवेश;
बदल दिया परिवेश, नकल फिल्मों की करके;
खान-पान, परिधान, यहां सब कुछ फिल्मों से;
कर दहिया में वास, देखती ऐसे नेता ;
नेता यहां न एक, बन चुके सब अभिनेता। (1)

कुदरत की माया अजब , सिखा रही यह खेल;
दोनों पाले खुद रहो, नहीं किसी से मेल ;
नहीं किसी से मेल, वैरागी बनना होगा;
भीतर का सब ज्ञान, कोरोना सबको देगा;
कर दहिया में वास, सदा से अपनी फिदरत;
सदा अकेली रही, आज कहती जो कुदरत ।(2)

नफरत से नफ़रत बढ़े, बढ़े प्रेम से प्रेम;
नफरत करनी छोड़ दो, करके पक्का नेम;
करके पक्का नेम, तभी विकसित हो पायें;
वरना इस घृणा से, खुद घृणित कहलायें ;
कर दहिया में वास, जगत को जाना कुदरत;
सब उसकी संतान, कहो किससे हो नफरत ।(3)


5 टिप्‍पणियां:

  1. वाह सरोज बहन बहुत सटीक कुण्डलियाँ आज के परिप्रेक्ष्य पर प्रहार करती।
    सुंदर सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह दीदी तीन कुंडलियाँ तीनों सार्थक |नेता तो सदा के अभिनेता हैं | पहले वालों में कुछ नैतिकता बची थी अब वालों की अलोप हो गयी |कोरोना जीवन का सबसे बड़ा सबक लेकर आया है अज्ञानी समझत नाही | यदि सब एक ईश्वर एक इंसान को मान लें तो रामराज्य ही आ जाए | तीनों कुंडलियाँ एक से बढ़कर एक | वाह !!!!!!

    जवाब देंहटाएं

yes

कुण्डलिया

खेतिहर ने रच दिया, एक नया इतिहास, एक एकता बन चुकी, मिलकर करें विकास; मिलकर करें विकास, नहीं मजदूर बनेंगे, अपनी भूमि पर, इच्छा से काश्त करेंगे ;