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बुधवार, 23 सितंबर 2020

कुण्डलिया

चिड़िया भूखी मर रहीं, मौज मनाते मोर,
चौकीदारी जो करें, खुद ही बनता चोर ;
खुद ही बनता चोर , मोर को खूब चुगाता,
छोटी-छोटी चिड़ियाओं को खूब सताता ;
कर भारत में वास , सूंघ जादू की पुड़िया,
बन जायेगा मोर , भले कोई हो चिड़िया ।

गुरुवार, 17 सितंबर 2020

कुण्डलिया

भाग्य भरोसे छोड़ कर, दें कुयें में डाल,
जोड़ी जब मिलती नहीं,  हर दिन कटे बवाल;
हर दिन कटे बवाल , मौन रह कर सह जाती,
मन की बात किसी के सम्मुख न कह पाती ;
कर दहिया में वास, सभी को दिखा सौभाग्य,
मन में विचलन रोज, यही है अपना भाग्य ।

रविवार, 13 सितंबर 2020

कुण्डलिया

सच को खोजन जब चली, मिली झूठ पर झूठ,
सबसे नीचे सच दबी, नित नित चढ़ती झूठ ;
नित नित चढ़ती झूठ , झूठ नाचे इठलाये,
खेंच रही सच सांस , झूठ तो खुशी मनाये ;
कर दहिया में वास गुजारा करना सचमुच,
हो जाता अपमान यहां जो बोलेगा सच ।

कुण्डलिया

खेतिहर ने रच दिया, एक नया इतिहास, एक एकता बन चुकी, मिलकर करें विकास; मिलकर करें विकास, नहीं मजदूर बनेंगे, अपनी भूमि पर, इच्छा से काश्त करेंगे ;