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बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

कुण्डलिया

चिंतन मंथन कर रहा, बात न आई हाथ,
इतना अब तू जान ले, समय नहीं है साथ;
समय नहीं है साथ, कौन मार्ग बतलाये,
जिस पर है विश्वास, वही तुझको भटकाये;
समय समय की बात, समय करवाता नृतन,
देख समय की चाल , छोड़ कर सारा चिंतन ।


2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब आदरणीय दीदी | सच में विश्वास जिस पर किया ना जाने कब धोखा दे जाए | सटीक विचार पिरोती कुंडली विधा |सादर

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yes

कुण्डलिया

खेतिहर ने रच दिया, एक नया इतिहास, एक एकता बन चुकी, मिलकर करें विकास; मिलकर करें विकास, नहीं मजदूर बनेंगे, अपनी भूमि पर, इच्छा से काश्त करेंगे ;