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गुरुवार, 22 अक्तूबर 2020

कुण्डलिया

ध्यान लगाकर देख ले, इस जग का व्यवहार,
नहीं प्रेम का भाव है, सब करते व्यापार;
सब करते व्यापार, अर्थ आंखों के सम्मुख,
बिना अर्थ की बात, बात सब रही निरर्थक;
एक दूजे को दे रहे, देख देख धन मान,
अर्थ बिना यश न मिले, इतना रख ले ध्यान ।

शनिवार, 17 अक्तूबर 2020

कुण्डलिया

लाख टके की नौकरी, करी चाकरी खूब,
धन में खेला खेल तू, मन पर चढ़ गई धूल;
मन पर चढ़ गई धूल , धूल को कौन हटाये,
पैसा तेरे पास , प्यार नजदीक न आये;
पैसा पैसा दीखता, नहीं दीखती शाख ,
हटकर चलते लोग हैं, करी कमाई लाख।

बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

कुण्डलिया

चिंतन मंथन कर रहा, बात न आई हाथ,
इतना अब तू जान ले, समय नहीं है साथ;
समय नहीं है साथ, कौन मार्ग बतलाये,
जिस पर है विश्वास, वही तुझको भटकाये;
समय समय की बात, समय करवाता नृतन,
देख समय की चाल , छोड़ कर सारा चिंतन ।


मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

कुण्डलिया

माता तो माता रहे, बनता पूत कपूत,
भाव भावना दूर धर, बनता ऐसा भूत;
बनता ऐसा भूत , बात अपनी मनवाता,
दो कौड़ी का पूत, मात को आंख दिखाता;
कैसे बनते भाव, पूत बैरी बन जाता,
तो भी मांगे खैर, बनी माता तो माता ।

चिंतन

कुण्डलिया

खेतिहर ने रच दिया, एक नया इतिहास, एक एकता बन चुकी, मिलकर करें विकास; मिलकर करें विकास, नहीं मजदूर बनेंगे, अपनी भूमि पर, इच्छा से काश्त करेंगे ;