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बुधवार, 23 सितंबर 2020

कुण्डलिया

चिड़िया भूखी मर रहीं, मौज मनाते मोर,
चौकीदारी जो करें, खुद ही बनता चोर ;
खुद ही बनता चोर , मोर को खूब चुगाता,
छोटी-छोटी चिड़ियाओं को खूब सताता ;
कर भारत में वास , सूंघ जादू की पुड़िया,
बन जायेगा मोर , भले कोई हो चिड़िया ।

2 टिप्‍पणियां:

  1. शिल्प और प्रभावशाली शब्दों से रचित सुन्दर कुण्डलिया।

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  2. बहुत खूब आदरणीय दीदी | असंतुलित व्यवस्था पर प्रहार -- वो भी बहुत बड़ा | सादर

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yes

कुण्डलिया

खेतिहर ने रच दिया, एक नया इतिहास, एक एकता बन चुकी, मिलकर करें विकास; मिलकर करें विकास, नहीं मजदूर बनेंगे, अपनी भूमि पर, इच्छा से काश्त करेंगे ;