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रविवार, 13 सितंबर 2020

कुण्डलिया

सच को खोजन जब चली, मिली झूठ पर झूठ,
सबसे नीचे सच दबी, नित नित चढ़ती झूठ ;
नित नित चढ़ती झूठ , झूठ नाचे इठलाये,
खेंच रही सच सांस , झूठ तो खुशी मनाये ;
कर दहिया में वास गुजारा करना सचमुच,
हो जाता अपमान यहां जो बोलेगा सच ।

2 टिप्‍पणियां:

yes

कुण्डलिया

खेतिहर ने रच दिया, एक नया इतिहास, एक एकता बन चुकी, मिलकर करें विकास; मिलकर करें विकास, नहीं मजदूर बनेंगे, अपनी भूमि पर, इच्छा से काश्त करेंगे ;