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रविवार, 23 अगस्त 2020

कुण्डलिया

पहले हम गांधी बने, लेकर चरखा हाथ,
पुनः हजामत छोड़ कर, बने रवीन्द्र नाथ;
बने रवीन्द्र नाथ, अभी हम मोर चुगाते,
फूटी जिनकी आंख, प्रशंसा उनसे पाते;
कर दहिया में वास, काम बुद्धि से ले ले,
डिजिटल नकली चित्र, बहुत देखे हैं पहले ।

2 टिप्‍पणियां:

yes

कुण्डलिया

खेतिहर ने रच दिया, एक नया इतिहास, एक एकता बन चुकी, मिलकर करें विकास; मिलकर करें विकास, नहीं मजदूर बनेंगे, अपनी भूमि पर, इच्छा से काश्त करेंगे ;