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शनिवार, 1 अगस्त 2020

कुण्डलीयां

सबला बनने की ललक , कैसा चढ़ा बुखार;
पूरक बन पैदा हुए, दुनियावीं व्यवहार ;
दुनियावीं व्यवहार, कर्म दोनों का न्यारा;
कर्म किए बिना नहीं यहां चल सकता चारा;
कर दहिया में वास, नहीं रह पाये अबला;
मिले पति का प्यार जिसे, वह खुद ही सबला ।

मातृशक्ति सशक्त हो, बात चली यह खूब;
हर नुक्कड़ हर चौंक पर, मची हुई है धूम;
मची हुई है धूम, नहीं अबला रह पाये;
सम्भवतः यह शब्द कोष से ही मिट जाये;
कर दहिया में वास, फिरेगी नर की दृष्टि;
बस तब सबला बन पायेगी मातृशक्ति ।


1 टिप्पणी:

  1. मिले पति का प्यार जिसे, वह खुद ही सबला ।
    क्या बात कही आपने आदरणीय दीदी |

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yes

कुण्डलिया

खेतिहर ने रच दिया, एक नया इतिहास, एक एकता बन चुकी, मिलकर करें विकास; मिलकर करें विकास, नहीं मजदूर बनेंगे, अपनी भूमि पर, इच्छा से काश्त करेंगे ;