घुटने टेके गैर को, नहीं लाज का खोज;
नहीं लाज का खोज, अकल पर पत्थर भारी;
अपने ने अपने को दे दी, यह लाचारी;
करो प्रेम से वास, करो मत कभी लड़ाई;
हंसें पड़ोसी लोग ,लड़े जब भाई भाई ।(1)
उन्नीस तो उन्नीस रहा, बीस चार सौ बीस;
न जाने कब कब मिली, किसको क्या बख्शीश;
किसको क्या बख्शीश, कहीं सरकार गिराई ;
देकर कुछ बख्शीश आप दिल्ली जलवाई ;
महामारी आयात की, जिसकी ज्यादा टीस;
कुदरत सब कुछ देखती, रहे न वह उन्नीस ।(2)
रही अकेली झूठ कब, रखती संग में झुण्ड;
लोग झूठ के झुण्ड में , रहें मारते मुण्ड ;
रहें मारते मुण्ड , हारकर थक बैठे हैं ;
झूठे संग संग बैठ ,मलाई चख रहते हैं ;
हाल साल में जनता ने कितनी ही झूठ सही;
जादूगर का राज , आज यहां झूठी झूठ रही ।(3)
उपयोगी कुण्डलियाँ।
जवाब देंहटाएंडा० साहब आपका आभार
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