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शनिवार, 4 जुलाई 2020

देखा क्या ?

कभी देखा है आपने
किसी लाचार वृद्ध को, किसी झुकी कमर को, धुंधली आंखों से गिरता पानी, 
पोपला मुंह
चेहरे पर झुर्रियां
आंखों पर ऐनक, हाथ में छड़ी
यदि दिखाई दें कहीं ऐसी मूर्ति
काम छोड़कर, बैठ जाईए कुछ देर उसके पास
सच में
इतना शकुन मिलेगा , आपको भी और उसे भी
आशीर्वाद की झड़ी लग जायेगी , सरसाई आयेगी
क्या दिया आपने उसे
न खाना, न पैसे, बस थोड़ा सा समय
जिससे उसको मिली आत्मिक तृप्ति
सच मानोगे
यही आत्म तृप्ति , ईश्वर के खुश होने का संकेत
जो नहीं देते अपनों को भी यह तृप्ति
हैवान होते हैं, तमोगुणी राक्षस , रजोगुणी लालच से भरे
जब सतोगुण हावी होता है
तब मनुष्य को अपना नहीं औरों का ख्याल होता है
हर लाचार, वृद्ध, बालक, जरुरत मंद , भूखा, निराशा,
उदास ;
जो भी सम्मुख आता है, उसे अपना दीख जाता है
उसकी जरूरत की पूर्ति , बन जाते हो आप 
उस हेतू ईश्वर की मूर्ति
यही आत्म विस्तार है
इसी से हर मानव का उद्धार है ।

3 टिप्‍पणियां:

yes

कुण्डलिया

खेतिहर ने रच दिया, एक नया इतिहास, एक एकता बन चुकी, मिलकर करें विकास; मिलकर करें विकास, नहीं मजदूर बनेंगे, अपनी भूमि पर, इच्छा से काश्त करेंगे ;