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गुरुवार, 2 जुलाई 2020

नवभारत निर्माण

हम कौन थे, क्या बन रहें हैं, और क्या होंगे अभी;
प्रबुद्ध जन ! मिल कर विचारों , एक बार तो कभी;
मेल दिखता ही नहीं है, सब हटे हैं, सब कटे ;
धर्म जाति वर्ग भाषा के बहाने सब बंटे ।

भिन्न पुष्पों से बना ज्यों हार सज जाता गले ;
मातृभूमि के गले में यों सजें तब ही भले ;
राष्ट्र वादी एकता विभिन्नता को मेंट  दे ;
नागरिक प्रत्येक एक भारतवंशी ही रहे ।

लोकतंत्र देश में तब ही सफल हो पायेगा;
हर किसी के सामने मत का महत्व आयेगा;
यह तभी सम्भव बने, शिक्षित सभी हो जायेंगे;
जब तलक सम्भव नहीं, अयोग्य कुर्सी पायेंगे ।

हे देश के प्रबुद्ध जन ! यह ही सही विकास है;
न रहे कोई अशिक्षित देश तब यह खास है ;
न किसी सरकार से कोई हमें अब आस है ;
सर्वार्थ में सब तुल चुके नेता नहीं ये नाश हैं ।

आओं हमीं संकल्प लेकर, देश का हित कर सकें;
मेट दें अशिक्षा सारी, जागरुक भी कर सकें ;
फैशन नहीं जीवन कभी, कुछ आत्मिक विस्तार हो;
काम को जीवन बनायें, देश का निस्तार हो ।

समाप्त

4 टिप्‍पणियां:

yes

कुण्डलिया

खेतिहर ने रच दिया, एक नया इतिहास, एक एकता बन चुकी, मिलकर करें विकास; मिलकर करें विकास, नहीं मजदूर बनेंगे, अपनी भूमि पर, इच्छा से काश्त करेंगे ;