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मंगलवार, 14 जुलाई 2020

तीन कुण्डलियां

कविता सरिता सी बहे, बन जाते तब छंद;
वीणापाणी से हुआ , कुछ ऐसा अनुबंध;
कुछ ऐसा अनुबंध, छंद अब कौन गढ़ेगा;
कलम चले तब काव्यशास्त्र को कौन पढ़ेगा;
सुनो सुजन सच बात, शब्द की पावन सरिता;
हृदय बहे रसधार, बने तब आप कविता ।(1)

गौपालक दिखते नहीं, कालिंदी के तीर;
कामधेनु सी गौ कहां, गऊंयें सहती पीर;
गऊंयें सहती पीर, वहां व्यापार भाव है;
गौमाता की सेवा पूजा का अभाव है ;
सुनो सुजन चंदा खाते हैं ये गौशालक;
अखबारों तक सीमित रह गये अब गौपालक ।(2)

कुत्ता पाला चाव से, रखती सार सम्भाल;
साबुन से नहला दिया, अण्डा दिया उबाल;
अण्डा दिया उबाल, सुस्त सा दिया दिखाई;
कर डाक्टर को फोन, वहां घण्टी खनकाई;
आधुनिक नारी को बस कुत्ते की चिंता;
बन गये पति गुलाम , पति सा प्यारा कुत्ता ।

1 टिप्पणी:

  1. पति सा प्यारा कुत्ता ।
    ना ना दीदी -- ये लिखिए
    पति से प्यारा कुत्ता ।रोचक लेखन |

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yes

कुण्डलिया

खेतिहर ने रच दिया, एक नया इतिहास, एक एकता बन चुकी, मिलकर करें विकास; मिलकर करें विकास, नहीं मजदूर बनेंगे, अपनी भूमि पर, इच्छा से काश्त करेंगे ;