फ़ॉलोअर

रविवार, 26 जुलाई 2020

कुण्डली

सरगर्मी नित बढ़ चली,  बही चुनावी ब्यार;
बोतल के मुंह खुल गये, बढ़ा प्रेम व्यवहार;
बढ़ा प्रेम व्यवहार, प्रेम में रंग जायेगा ;
रसना को रस मिले, कौन अब घर जायेगा;
कह दहिया सुन बात, जेब में आती गर्मी;
तेरे प्रेमी लोग , बढ़ाते तब सरगर्मी ।

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-07-2020) को     "कोरोना वार्तालाप"   (चर्चा अंक-3777)     पर भी होगी। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

    जवाब देंहटाएं
  2. रसना को रस मिले, कौन अब घर जायेगा; क्या बात है दीदी ? रसना को चुनावी रस मिले तो मैं भी घर ना जाऊं | बतरसिया लोगों के लिए चुनाव त्यौहार जैसा है | साथ में जहाँ देखि तवा प्रात , वहीँ गुजारी सारी रात ! यही सालों , दशकों की कहानी है जो आगे भी जारी रहेगी | सार्थ कुंडली |

    जवाब देंहटाएं

yes

कुण्डलिया

खेतिहर ने रच दिया, एक नया इतिहास, एक एकता बन चुकी, मिलकर करें विकास; मिलकर करें विकास, नहीं मजदूर बनेंगे, अपनी भूमि पर, इच्छा से काश्त करेंगे ;