आदरणीया मैम , देश की दुखद स्थिति पर बहुत ही सुंदर कटाक्ष। कम शब्दों में बहुत अधिक कह देने वाली कविता। लोक तंत्र केवल मतदान से नहीं होता, वास्तविक लोकतंत्र वह है जपो मतदान के बाद देखने को मिलता है। हमारे देश में कवल मुट्ठीभर नेता विसजेश हैं और बाकी जनता शेष है। सुंदर रचना के लिए ह्रदय से आभार। आपसे अनुरोध है की कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आएं। आपके आशीष व प्रोत्साहन के लिए अनुग्रहित रहूंगी।
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 20 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वाह
जवाब देंहटाएंआदरणीया मैम ,
जवाब देंहटाएंदेश की दुखद स्थिति पर बहुत ही सुंदर कटाक्ष। कम शब्दों में बहुत अधिक कह देने वाली कविता।
लोक तंत्र केवल मतदान से नहीं होता, वास्तविक लोकतंत्र वह है जपो मतदान के बाद देखने को मिलता है।
हमारे देश में कवल मुट्ठीभर नेता विसजेश हैं और बाकी जनता शेष है।
सुंदर रचना के लिए ह्रदय से आभार।
आपसे अनुरोध है की कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आएं। आपके आशीष व प्रोत्साहन के लिए अनुग्रहित रहूंगी।
बहुत सुन्दर और सटीक।
जवाब देंहटाएंछूट चुके सब काम, लोक की यह लाचारी.
जवाब देंहटाएंलोक की लाचारी ही शाश्वत है. और मनुष्य की चूक भी. चूक की हूक भी. विडंबना भारी.
गागर में सागर.
तार्किक व गंभीर मुद्दा!
जवाब देंहटाएंलोकतंत्र में तंत्र तो है कदाचित लोक निर्विकार! सादर
एकलव्य
लोकतंत्र की बदहाली पर गहरा कटाक्ष !
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