पुनः हजामत छोड़ कर, बने रवीन्द्र नाथ;
बने रवीन्द्र नाथ, अभी हम मोर चुगाते,
फूटी जिनकी आंख, प्रशंसा उनसे पाते;
कर दहिया में वास, काम बुद्धि से ले ले,
डिजिटल नकली चित्र, बहुत देखे हैं पहले ।
खेतिहर ने रच दिया, एक नया इतिहास, एक एकता बन चुकी, मिलकर करें विकास; मिलकर करें विकास, नहीं मजदूर बनेंगे, अपनी भूमि पर, इच्छा से काश्त करेंग...