नहीं प्रेम का भाव है, सब करते व्यापार;
सब करते व्यापार, अर्थ आंखों के सम्मुख,
बिना अर्थ की बात, बात सब रही निरर्थक;
एक दूजे को दे रहे, देख देख धन मान,
अर्थ बिना यश न मिले, इतना रख ले ध्यान ।
खेतिहर ने रच दिया, एक नया इतिहास, एक एकता बन चुकी, मिलकर करें विकास; मिलकर करें विकास, नहीं मजदूर बनेंगे, अपनी भूमि पर, इच्छा से काश्त करेंग...