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शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

कुण्डलिया

संस्कृति कायम रहे, मैंने दीवाली आज,
बीस बीस में हो गये, कैसे कैसे काज ;
कैसे कैसे काज कोरोना का हंगामा,
राजा तक भी चोर आज दुनिया ने माना;
भूख बीमारी बढ़ चली, बढ़ी खूब अपकीर्ति,
त्योहारों का देश है, बचा रहे संस्कृति ।

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कुण्डलिया

खेतिहर ने रच दिया, एक नया इतिहास, एक एकता बन चुकी, मिलकर करें विकास; मिलकर करें विकास, नहीं मजदूर बनेंगे, अपनी भूमि पर, इच्छा से काश्त करेंगे ;